जम्मू-कश्मीर में मस्जिद में नमाज के दौरान पूर्व पुलिस अधिकारी पर गोलीबारी, निधन
जम्मू-कश्मीर में मस्जिद में नमाज के दौरान पूर्व पुलिस अधिकारी पर गोलीबारी, निधन – दुखद खबर! जम्मू-कश्मीर के बारामूला में आज एक जघन्य अपराध ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी मोहम्मद शफी की दिनदहाड़े मस्जिद में नमाज़ के दौरान आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. कश्मीर पुलिस के अनुसार, ज़ुहर की अज़ान के दौरान ही आतंकवादियों ने उन पर निशाना साधा.
घटना के तुरंत बाद सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया. कश्मीर ज़ोन पुलिस ने पोस्ट कर बताया, “आतंकवादियों ने गांतमुल्ला, जम्मू-कश्मीर के बारामूला में नमाज़ पढ़ते हुए सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी मोहम्मद शफी पर अचानक गोलियां चला दीं. हमले में गंभीर रूप से घायल हुए शफी दुर्भाग्य से शहीद हो गए हैं. घटनास्थल को घेर लिया गया है और कार्रवाई जारी है.”
यह घटना घाटी में पुलिसकर्मियों पर पिछले कुछ महीनों में हुए लगातार लक्षित हमलों की एक कड़ी है. पिछले हफ्तों में पुलवामा और अन्य इलाकों में हुए इन घातक हमलों के बाद सुरक्षा बलों ने वाहनों और राहगीरों की जांच को सख्त कर दिया है. श्रीनगर और शहर के बाहर प्रमुख चौराहों पर जगह-जगह मोबाइल वाहन चेकपॉइंट बनाए गए हैं. आतंकवादियों के घुसपैठ के भी खतरे के बीच यह चिंताजनक घटनाक्रम सामने आया है.
मोहम्मद शफी एक अनुभवी पुलिस अधिकारी थे, जिन्होंने सालों तक कश्मीर की धरती की रक्षा का कर्तव्य निभाया. उनकी शहादत न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे पुलिस बल और देश के लिए अपार दुःखदायी है. आतंकवाद का यह कायराना कृत्य न केवल जघन्य है बल्कि इससे सांप्रदायिक सद्भावना को बिगाड़ने की भी कोशिश है.
इस दुःखद घटना के बाद हर किसी के मन में सवाल उठ रहा है कि घाटी में ऐसी हिंसा का अंत कब होगा? आतंकवाद की जड़ों को कैसे खत्म किया जाएगा? भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन इस मामले को लेकर सख्त कदम उठाने का वादा पहले ही कर चुका है. आतंकवाद के खिलाफ कड़ा अभियान चलाने, घुसपैठ को रोकने और आतंकवादी गतिविधियों को पूरी तरह से खत्म करने की ज़रूरत है. लेकिन इसके साथ ही घाटी के लोगों को विश्वास में लेना, उनकी समस्याओं का समाधान निकालना और विकास कार्यों को गति प्रदान करना भी बेहद आवश्यक है.
इस घड़ी में आइए हम सब मिलकर शहीद मोहम्मद शफी के परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करें और उनके जाने का मातम मनाएं. साथ ही आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों और घाटी में स्थायी शांति की आशा जगाएं. आतंकवाद को कभी भी जीतने न दें, बल्कि शांति, सद्भावना और मानवता के साथ घाटी के भविष्य का निर्माण करें.