निखिल गुप्ता के मामले में: गुरपतवंत सिंह पन्नू के वकील का कहना – ‘अमेरिका ने कोई सबूत नहीं दिया
आखिरकार, एक बार फिर से बड़ा विवाद उत्पन्न हुआ है, जब अमेरिका ने एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या की साजिश को नाकाम करने का दावा किया है। इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को और भी कठिन बना सकती है, क्योंकि एक भारतीय सरकारी कर्मचारी और भारतीय नागरिक के बीच इस घटना से जुड़े जाने वाले आरोपों की घड़ी बढ़ रही हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस साजिश में शामिल मुख्य आरोपी नामक अलगाववादी नेता का नाम निखिल गुप्ता है, जो अमेरिकी नागरिक हैं और जिन्हें भारत ने आतंकवादी घोषित किया है। वह एक अलग सिख राज्य की वकालत करने वाले आंदोलन के समर्थक हैं और इस बयान के बावजूद कि भारत ने उन्हें आतंकवादी माना है, वह खुद को एक कार्यकर्ता मानते हैं।
इस घटना के पीछे की कहानी और इसके बारे में आने वाली नई जानकारी के बारे में हम इसे गहराई से समझेंगे। इस समय, इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि अमेरिका ने किस प्रकार से इस साजिश की नाकामी का दावा किया है और उन्होंने किस प्रकार के सबूत प्रस्तुत किए हैं।
निखिल गुप्ता को इस मामले में शामिल होने का आरोप लगाया जा रहा है और इसके संबंध में वकील पेट्र स्लेपिचका ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए बीबीसी से बातचीत की है। स्लेपिचका ने कहा, “हमें कोई सबूत नहीं मिला है। चेक अदालत की फ़ाइल में केवल एक अमेरिकी एजेंट का बयान है इसलिए हम नहीं जानते कि उनके दावे सही हैं या नहीं।”
इसके अलावा, स्लेपिचका ने बताया कि वहां कुछ पैसों के लेन-देन की तस्वीरें हैं, लेकिन वे तस्वीरें वास्तविकता में कुछ भी साबित नहीं करती हैं और उन्हें कहीं भी शूट किया जा सकता है। स्लेपिचका ने यह भी जताया कि वे अब अपनी रणनीति में बदल रहे हैं और अब मामला राजनीतिक मामला बन सकता है।
इसी कड़ी में, निखिल गुप्ता के परिवार ने भी कदम बढ़ाया है और उन्होंने भारतीय सुप्रीम कोर्ट में दरवाजा खटखटाया है। गुप्ता के परिवार ने भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है और इसके बारे में बातचीत के दौरान पेट्र स्लेपिचका ने कहा, “गुप्ता सितंबर में मेरे मुवक्किल बने। मेरे हस्तक्षेप के बाद गुप्ता ने अपने परिवार से संपर्क किया है, लेकिन मैं भारत में उनके परिवार को सलाह नहीं दे रहा हूं क्योंकि मैं भारतीय क़ानूनों या सरकार के बारे में नहीं जानता।”
इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि उनका संपर्क भारतीय दूतावास के साथ स्थापित नहीं हो सका है और उन्हें सहायता की आवश्यकता है, लेकिन भारतीय दूतावास ने उनसे मिलने में असहयोगी साबित हो रहा है।
इसके बावजूद, यहां तक कि गुप्ता के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में भारतीय अधिकारियों पर भी आरोप लगाए हैं। उन्होंने भारतीय अधिकारियों को ‘मूकदर्शक’ बताया है और उन्हें बड़ी निराशा का सामना करना पड़ रहा है।
इस विवाद के चलते, सामने आई जानकारी के अनुसार, गुप्ता के परिवार ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की है और उन्हें चेक गणराज्य से अदालत के समक्ष पेश करने और प्रत्यर्पण की कार्रवाई में भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। इस याचिका को 4 जनवरी 2024 के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
इस घड़ी में, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रोल कितना महत्वपूर्ण है, यह भी विचार करना महत्वपूर्ण है। गुप्ता के वकील स्लेपिचका ने कहा, “हमारी प्रणाली में प्रत्यर्पण के लिए चार चरण हैं, पहले नगर निगम, फिर हाई कोर्ट, फिर संवैधानिक न्यायालय और आख़िर में न्याय मंत्रालय। हमारे मामले में, नगरपालिका अदालत का निर्णय अमेरिकियों के अनुकूल था, लेकिन यह क़ानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं था। इसलिए अब हम अपील कर रहे हैं।”
गुरुवार को विदेश मंत्रालय की साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “हम अमेरिका द्वारा दिए गए इनपुट को गंभीरता से लेते हैं. जो उच्चस्तरीय कमेटी बनाई गई है वह इस मामले के सभी पहलुओं पर गौर करेगी. हमारे पास इसकी टाइमलाइन या निष्कर्षों पर साझा करने के लिए कोई अपडेट नहीं है.”
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“लेकिन हम ये बता सकते हैं कि एक भारतीय नागरिक को चेक अधिकारियों ने गिरफ्तार किया गया है. उनका अमेरिका प्रत्यर्पण का मामला लंबित है. हमें कॉन्सुलर एक्सेस मिल गया है. हमें अब तक तीन बार एक्सेस मिल चुका है. वह जो मांग रहे है, हम उपलब्ध करा रहे हैं. उनका परिवार सुप्रीम कोर्ट गया है इसलिए टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. हम इस पर सुप्रीम कोर्ट के फै़सले का इंतजार करेंगे.”
इससे पहले बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि भारत अमेरिका में हत्या की साजिश के कथित संबंधों पर उपलब्ध कराए गए किसी भी सबूत पर निश्चित रूप से गौर करेगा. उन्होंने यह भी कहा कि इन आरोपों से भारत-अमेरिका के संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
गुप्ता के वकील से जब यह पूछा कि क्या वह या उनका मुवक्किल भारत की प्रतिक्रिया से निराश हैं, उन्होंने कहा, “मैं अपना काम कर रहा हूं. मैं भारत या चेक या अमेरिकी अधिकारियों के रवैये से निराश नहीं हो सकता. गुप्ता की मानसिकता मुझसे अलग है. मैं पेशेवर बनने की कोशिश कर रहा हूं. मैं उनके विचार नहीं बल्कि केवल मामले के बारे में पूछ रहा हूं.”
वकील ने कहा कि यह साफ नहीं है कि चेक गणराज्य के जेल अधिकारियों को गुप्ता की सुरक्षा को ख़तरे के बारे में कब जानकारी मिली थी.
उन्होंने कहा, “जेल को स्थानीय पुलिस से जानकारी मिली कि गुप्ता की सुरक्षा को ख़तरा है. मैं नहीं जानता किससे, यह कोई नहीं जानता. अब उनको सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. यहां की जेलें ज्यादा सुरक्षित हैं. वह संतुष्ट हैं. जेल अधिकारी उनके साथ हैं. अब वो अपने परिवार को कॉल करने में सक्षम हैं.”
दिल्ली में क्या काम करते थे निखिल गुप्ता?
स्लेपिचका से जब गुप्ता के भारत में जीवन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वो दिल्ली से थे और बिल्डिंग मैटेरियल के व्यापारी के रूप में काम करते थे.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में गुप्ता के परिवार ने उन्हें एक हस्तशिल्प के सामान का व्यापारी बताया है. वहीं अमेरिकी दस्तावेजों के मुताबिक़ गुप्ता नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी में शामिल हैं.
जब स्लेपिचका से अमेरिकी दस्तावेजों में बताए गए गुजरात में गुप्ता के मामले के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता. मैंने इसे केवल अमेरिकी अभियोग पत्र में पढ़ा है. उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा है.”
जब उनसे पूछा गया कि क्या गुप्ता का भारत सरकार से संपर्क था. इस सवाल पर उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी.
उन्होंने स्वीकार किया कि गुप्ता पहले अमेरिका की यात्रा कर चुके हैं.
उन्होंने कहा, “गुप्ता के पासपोर्ट से पता चलता है कि वह पहले भी अमेरिका की यात्रा कर चुके हैं, लेकिन यह 7-8 साल पहले था. मुझे नहीं पता कि उनका वहां कोई संबंधी या दोस्त है या नहीं.”
कितने डॉलर में ‘सौदा’ करने का आरोप है? निखिल गुप्ता गुप्ता के ख़िलाफ़ अमेरिका ने क्या आरोप लगाए हैं-
मई 2023 के आसपास, भारत सरकार के एक कर्मचारी ने अमेरिका में हत्या की साजिश रचने के लिए गुप्ता से संपर्क किया.
इसके बाद गुप्ता ने एक ऐसे व्यक्ति से संपर्क किया, जिसे वो एक अपराधी का सहयोगी मानते थे. लेकिन वास्तव में वह एक अमेरिकी मुखबिर था.
गुप्ता ने इस व्यक्ति के ज़रिए हत्या के लिए एक हिटमैन तक पहुंचने की कोशिश की. अमेरिकी दस्तावेज़ कहते हैं कि हिटमैन वास्तव में एक अमेरिकी अंडरकवर एजेंट था.